बात जो मैनें बुजुर्गो से सुनी
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ये किस्सा करीब-करीब तीन चार दशक पुराना हैं |
सिरोही के एक बडे़ ठिकाने की बारात बाडमेर के एक बडे ठिकाने में आई थी |
दोनो तरफ से बडे़ घराने होने की वजह से विवाह के इंतजाम राजशाही ठाट से कीये गये थे | रात भर में वर-वधु के फेरों व बारातियों के महफिल का शानदार शांतीपुर्ण आयोजन हुआ |
सुबह बाराती उठे | चाय-नाश्ते के बाद बारातीयों के स्नान का कार्यक्रम बना | उन दिनों भौतिक सुख सुविधाएं गांवो में कम हुआ करती थी, उस वक्त बारात गाँव के सार्वजनिक कुएँ पर ही नहाती थी | सिरोही के सिरदार नहाने के लिए तैयार हुए, काम थोडा मुश्किल था, क्योंकि पानी कुएं से बाल्टी द्वारा सींचकर निकालना था, जबकि सिरोही में पानी का जल स्तर उस वक्त कुछ ज्यादा ही उपर था और तब सिरोही के सिरदार बडे आरामी भी होते थे | कारण भी स्पष्ट था क्योंकि नदियां बहती थी, चारों तरफ कोयल की कूक थी | सौंफ, मक्का, अरण्डी, ज्वार, गेहूं व खरबुजे की खुब खेती थी |
नहाने का कार्यक्रम शुरू हुआ | एक-एक व्यक्ति बैठता और दुसरा व्यक्ति पानी कुएँ से निकालकर उनके उपर डालता | इस तरह पानी की बाल्टी सिंचने वाला व्यक्ति तीन-चार बारातीयों को स्नान करवाता और उसके थकने
पर दुसरा आ जाता ..
इस तरह कीसी बाराती ने तीन को स्नान करवाया, तो कीसी ने चार को, एक सिरदार थे जो बारात में सबसे हष्ट-पुष्ट और ताकतवर थें, उन्होंने करीब दस-बारह बारातियों को स्नान करवा दिया | अब जिस सिरदार ने दस-बारह जनों को स्नान करवाया था, उनकी सब जने भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे थे, कि ये देखो ! ये तो बडे ही ताकतवर है, और सभी बाराती भी उनसे ताकत का राज पुछ रहे थे | और वे सिरदार बडे़ जोश में मुँछो पर ताव देकर अपनी ताकत का राज बता रहे थे |
इतने मे गाँव के नाइयों की लडकी का वहाँ पानी भरने के लिए आना हुआ |
लडकी को मालुम था, की ठाकुर साहब के यहाँ बारात आई है [उस समय ठाकुर साहब का गाँव मे बडा सम्मान था] |
इसलिए उस नाईयों की लडकी ने एक सिरदार से बाल्टी माँगते हुए कहा, 'आ बाल्टी दिरावो आप म्हारें गाँव रा मेहमान हो, सभी सिरदारो ने पानी सींच ने स्नान करवा दूँ |'
पहले तो सिरदारो ने आनाकानी करी, सोचा ये लड़की बिचारी एक-आद बाल्टी सींचकर थक जायेगी | लेकिन उसने बार-बार जिद करी तो उसको बाल्टी दे दी गई |
साथियों आपको विश्वास नहीं होगा, उस लड़की ने शेष बचे सभी करीब 40-50 बारातीयों को एक-एक करके अकेली लडकी ने कुँए से पानी सींच कर स्नान करवा दिया |
साथियों अब वहाँ खडा हर एक बाराती आश्चर्यचकित था !
वे सब यह दृश्य देख हैरान थे, की यहाँ की औरतें भी इतनी ताकतवर है, तो यहाँ के पुरुषों व सिरदारों का तो क्या कहना !
इतनी देर तक जो दो-चार बाल्टी कुएं से सिंचकर स्वयं ही अपनी प्रशंसा कर रहे थे वे सभी मौन थे | थार की धरती के प्रती सभी बाराती नतमस्तक हुएे जा रहे थे |
साथियों ! मारवाड के पुरुषों के साथ-साथ यहां की औरते भी बलशाली व स्वाभिमानी रही है | यहाँ का देशी खान-पान, रहन-सहन व यहाँ की परिस्थितियाँ ही इन्हें इतना मजबुत व संघर्षशील बनाये रखती हैं |
[मेरे इस कहानी का उद्देश्य धोरा-धरती के सादे जीवन मे छिपी एक ताकत से अवगत करवाना था |
वैसे आजकल सिरोही में भी पानी का स्तर नीचे चला गया है, वे भी अब पहले जितने आरामी नही रहे 😊]
- दीप सिंह दूदवा
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ये किस्सा करीब-करीब तीन चार दशक पुराना हैं |
सिरोही के एक बडे़ ठिकाने की बारात बाडमेर के एक बडे ठिकाने में आई थी |
दोनो तरफ से बडे़ घराने होने की वजह से विवाह के इंतजाम राजशाही ठाट से कीये गये थे | रात भर में वर-वधु के फेरों व बारातियों के महफिल का शानदार शांतीपुर्ण आयोजन हुआ |
सुबह बाराती उठे | चाय-नाश्ते के बाद बारातीयों के स्नान का कार्यक्रम बना | उन दिनों भौतिक सुख सुविधाएं गांवो में कम हुआ करती थी, उस वक्त बारात गाँव के सार्वजनिक कुएँ पर ही नहाती थी | सिरोही के सिरदार नहाने के लिए तैयार हुए, काम थोडा मुश्किल था, क्योंकि पानी कुएं से बाल्टी द्वारा सींचकर निकालना था, जबकि सिरोही में पानी का जल स्तर उस वक्त कुछ ज्यादा ही उपर था और तब सिरोही के सिरदार बडे आरामी भी होते थे | कारण भी स्पष्ट था क्योंकि नदियां बहती थी, चारों तरफ कोयल की कूक थी | सौंफ, मक्का, अरण्डी, ज्वार, गेहूं व खरबुजे की खुब खेती थी |
नहाने का कार्यक्रम शुरू हुआ | एक-एक व्यक्ति बैठता और दुसरा व्यक्ति पानी कुएँ से निकालकर उनके उपर डालता | इस तरह पानी की बाल्टी सिंचने वाला व्यक्ति तीन-चार बारातीयों को स्नान करवाता और उसके थकने
पर दुसरा आ जाता ..
इस तरह कीसी बाराती ने तीन को स्नान करवाया, तो कीसी ने चार को, एक सिरदार थे जो बारात में सबसे हष्ट-पुष्ट और ताकतवर थें, उन्होंने करीब दस-बारह बारातियों को स्नान करवा दिया | अब जिस सिरदार ने दस-बारह जनों को स्नान करवाया था, उनकी सब जने भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे थे, कि ये देखो ! ये तो बडे ही ताकतवर है, और सभी बाराती भी उनसे ताकत का राज पुछ रहे थे | और वे सिरदार बडे़ जोश में मुँछो पर ताव देकर अपनी ताकत का राज बता रहे थे |
इतने मे गाँव के नाइयों की लडकी का वहाँ पानी भरने के लिए आना हुआ |
लडकी को मालुम था, की ठाकुर साहब के यहाँ बारात आई है [उस समय ठाकुर साहब का गाँव मे बडा सम्मान था] |
इसलिए उस नाईयों की लडकी ने एक सिरदार से बाल्टी माँगते हुए कहा, 'आ बाल्टी दिरावो आप म्हारें गाँव रा मेहमान हो, सभी सिरदारो ने पानी सींच ने स्नान करवा दूँ |'
पहले तो सिरदारो ने आनाकानी करी, सोचा ये लड़की बिचारी एक-आद बाल्टी सींचकर थक जायेगी | लेकिन उसने बार-बार जिद करी तो उसको बाल्टी दे दी गई |
साथियों आपको विश्वास नहीं होगा, उस लड़की ने शेष बचे सभी करीब 40-50 बारातीयों को एक-एक करके अकेली लडकी ने कुँए से पानी सींच कर स्नान करवा दिया |
साथियों अब वहाँ खडा हर एक बाराती आश्चर्यचकित था !
वे सब यह दृश्य देख हैरान थे, की यहाँ की औरतें भी इतनी ताकतवर है, तो यहाँ के पुरुषों व सिरदारों का तो क्या कहना !
इतनी देर तक जो दो-चार बाल्टी कुएं से सिंचकर स्वयं ही अपनी प्रशंसा कर रहे थे वे सभी मौन थे | थार की धरती के प्रती सभी बाराती नतमस्तक हुएे जा रहे थे |
साथियों ! मारवाड के पुरुषों के साथ-साथ यहां की औरते भी बलशाली व स्वाभिमानी रही है | यहाँ का देशी खान-पान, रहन-सहन व यहाँ की परिस्थितियाँ ही इन्हें इतना मजबुत व संघर्षशील बनाये रखती हैं |
[मेरे इस कहानी का उद्देश्य धोरा-धरती के सादे जीवन मे छिपी एक ताकत से अवगत करवाना था |
वैसे आजकल सिरोही में भी पानी का स्तर नीचे चला गया है, वे भी अब पहले जितने आरामी नही रहे 😊]
- दीप सिंह दूदवा
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