फोन की घंटी.... घंटी बजते देख प्रदीप ने अपने जेेब से मोबाईल बाहर निकाला ... देखा राधा का फोन था ! राधा प्रदीप की पत्नी थी ! एक बार तो सोचा कि उसने मोबाईल में बेलेंस डलवाने के लिए या युं ही टाइम पास के लिए फोन कीया होगा ! पर सप्ताह भर से राधा से बात नही हुई थी, इसलिए पहली घंटी में ही फोन उठाते हुए बोला हैल्लो ! राधा....
सामने से आवाज आई ... हैल्लो! राधा नही ... मैडम राधा कहिये ... आजसे आपकी राधा ...मैडम राधा बन गई हैं .. आज अभी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का अंतिम रिजल्ट आया हैं .... मेरा जिले में पच्चीसवीं रैंक पर चयन हुआ हैं ... मुझे मिठाई खिलाने के लिए आज ही रवाना हो जाओ .. और हां वादे के अनुसार एन्ड्रॉयड फोन भी ले आना ... अब तुम खुश हो न .. अब तो मुझे बाहर घुमाने ले जाओगे न, अपने साथ ... अब दोस्त व उनकी बीवीयो से मेरा परिचय करवाते शर्म भी नही आयेगी न प्रदीप जी ... अब तो बहाने मत बनाना ...प्लीज यार ... पहला टूर उदयपुर ही रख लो न... आपके मित्र सीआई साहब बीसीयो बार मेरे संग आपको आने का निमंत्रण भी दे चुके हैं .... खुब मजा आयेगा .. बारिश के बाद तो उदयपुर भी बहुत हरा-भरा हो गया होगा .... सुना हैं वहा झीले भी खुब हैं .... अपन चलेंगे न प्रदीप जी !
राधा एक ही रफ्तार से बोली जा रही थी .... अपने में दबे हजारों ख्वाब उडेल दिये ....
प्रदीप चाहकर भी कोई लब्ज बाहर नही निकाल पा रहा था ! बडी़ मुश्किल से दो शब्द बोल पाया, "राधा चार घंटे में मैं तेरे पास ही आता हूं, वहीं आकर कुछ कह पाउंगा" ! और फोन रख दिया .....
और प्रदीप आंख से पानी पोछते हुए पुराने ख्यालो में खो गया .... .......... ..........
-----
{प्रदीप के दिमाग में फिल्म चलने लगी .... दस साल पहले इसी राधा का विरोध करते हुए मां-बाप को क्या-क्या नहीं सुनाया था ... कानो में गुंजने लगी वो बाते "तुम मेरे मां बाप नही जल्लाद हो जल्लाद .... मैं एमबीबीएस .... और वो पांचवी पास गंवार .... कैसे जमेगी हमारी जोडी ... कैसे वो मुझे समझ पायेगी .... मेरे दोस्त मेरी हंसी उडायेंगे ... .................... तुम मुझे समझते क्युं नही हो ...... ज्यादा से ज्यादा पंच-पटेल अपने परिवार को समाज से बाहर ही करेंगे न ... ... कि ठाळेभुले ने धर्मजी की नाक कटवा दी ! मैं आज डॉक्टर हूं डॉक्टर ! समाज से बाहर करते ही मैं पंचो को पन्द्रह लाख दंड भर दुंगा ! और समाज में सम्मिलित करवा दुंगा ! पर ये रिश्ता मुझे मंजुर नहीं , आपने मेरी शादी इतनी छोटी उम्र (नौ साल) में क्युं कर दी .....??
और अंत में आंख में आंसु बहाते हुए बाप ने कहा था, " हां मैने झक मार दिया, सात बीघा जमीन बेच तुझे डॉक्टर बनाया हैं ! जमीन नही बेचता तो ये सवाल तुझे भी नही सुझते, आज के बाद मुंह मत दिखाना ...."
और अंत में मुझे भारी मन से ये रिश्ता स्वीकार करना पडा़ था !
राधा केवल पांचवी कक्षा पास ही थी, लेकिन बडी़ सुशील व सुन्दर थी ! पढाई में भी तेज थी, पर उसके गांव में पांचवी तक ही स्कुल थी सो आगे पढना नसीब ना हुआ था उसे ...
प्रथम बार जब राधा को गौना कर उसे ससुराल लाया गया था तब से प्रदीप उसकी वाकपटुता और समझदारी से बडा प्रभावित था .....
एक दिन की बात हैं .... प्रदीप खाट पर सोया हुआ झुंपी के बाहर नजर गढाये कीसी ख्यालो मे खोया हुआ था ..... तभी एक आवाज गुंजी, " सुणो ! म्हे भी पढणी चाहूं"
इस आवाज से प्रदीप में एक नवीन उर्जा का संचार हुआ और राधा की आंख में झांकते हुए कहा, "हां पढ तो सके है, पर उण वास्ते खुब मेहनत करणी पडेला" !
राधा- "हां तो म्हे तैयार हूं ! आप म्हाने पढाई करवा दो नी, मैं पढ लु ला .. ..!
दुसरे दिन ही प्रदीप ने राधा का आठवीं में प्राइवेट फॉर्म भरवा दिया ! और इस तरह आठवी प्राइवेट, दसवी ओपन, बारहवीं ओपन, कॉलेज प्राइवेट, बीएड कोटा ओपन युनिवर्सिटी और फिर रीट .... !
.....................
आज प्रदीप बहुत खुश था ! प्रदीप ने ताबड तोड स्नान कीया और कार निकाली ....फिर चल दिया अपने ससुराल की ओर ! बीच में कस्बा आया वहां से राधा के लिए आई फोन, मिठाई और साडी खरीदी ... !
अब प्रदीप मीटरो-मीटर गाडी भगाये जा रहा था ...!
चार घंटे के सफर बाद अपने ससुराल पहुंचा, तो पता चला कि ससुरजी व सालाजी तो जोधपुर कीसी काम से गये हुए हैं ...!
प्रदीप जैसे ही गाडी खडी कर बाहर निकला तो देखा कि राधा सामने ही खडी-खडी मुस्करा रही थी !
प्रदीप ने अपनी गाडी से आईफोन,साडी और मिठाई बाहर निकाली और चल दिया राधा की तरफ ... !
जैसे ही राधा के पास पहुंचा.... राधा प्रदीप के गले लिपट गई, और दोनो एक दुसरे के ख्वाबो में खो गये !
करीब पांच मीनट बाद मैं... मैं ..मैं .. की आवाज ने उनकी चुप्पी को तोडा़ ! देखा, तो पास में बकरी का बच्चा दो प्रेमीयों के मिलन का साक्षी बन रहा था ! और वो ऐसे मैं..मैं..मैं कर रहा था जैसे, प्रदीप-राधा के पांवो में मुंह मारते हुए प्यार का म्लहार राग गा रहा हो ! जब दोनो एक दुसरे से दुर हटे, तो देखा दोनो की आंखे भीगी-भीगी थी....... जैसे सात जन्म साथ निभाने का वादा कर रही हो !
-------
✍ दीप सिंह दूदवा
सामने से आवाज आई ... हैल्लो! राधा नही ... मैडम राधा कहिये ... आजसे आपकी राधा ...मैडम राधा बन गई हैं .. आज अभी तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का अंतिम रिजल्ट आया हैं .... मेरा जिले में पच्चीसवीं रैंक पर चयन हुआ हैं ... मुझे मिठाई खिलाने के लिए आज ही रवाना हो जाओ .. और हां वादे के अनुसार एन्ड्रॉयड फोन भी ले आना ... अब तुम खुश हो न .. अब तो मुझे बाहर घुमाने ले जाओगे न, अपने साथ ... अब दोस्त व उनकी बीवीयो से मेरा परिचय करवाते शर्म भी नही आयेगी न प्रदीप जी ... अब तो बहाने मत बनाना ...प्लीज यार ... पहला टूर उदयपुर ही रख लो न... आपके मित्र सीआई साहब बीसीयो बार मेरे संग आपको आने का निमंत्रण भी दे चुके हैं .... खुब मजा आयेगा .. बारिश के बाद तो उदयपुर भी बहुत हरा-भरा हो गया होगा .... सुना हैं वहा झीले भी खुब हैं .... अपन चलेंगे न प्रदीप जी !
राधा एक ही रफ्तार से बोली जा रही थी .... अपने में दबे हजारों ख्वाब उडेल दिये ....
प्रदीप चाहकर भी कोई लब्ज बाहर नही निकाल पा रहा था ! बडी़ मुश्किल से दो शब्द बोल पाया, "राधा चार घंटे में मैं तेरे पास ही आता हूं, वहीं आकर कुछ कह पाउंगा" ! और फोन रख दिया .....
और प्रदीप आंख से पानी पोछते हुए पुराने ख्यालो में खो गया .... .......... ..........
-----
{प्रदीप के दिमाग में फिल्म चलने लगी .... दस साल पहले इसी राधा का विरोध करते हुए मां-बाप को क्या-क्या नहीं सुनाया था ... कानो में गुंजने लगी वो बाते "तुम मेरे मां बाप नही जल्लाद हो जल्लाद .... मैं एमबीबीएस .... और वो पांचवी पास गंवार .... कैसे जमेगी हमारी जोडी ... कैसे वो मुझे समझ पायेगी .... मेरे दोस्त मेरी हंसी उडायेंगे ... .................... तुम मुझे समझते क्युं नही हो ...... ज्यादा से ज्यादा पंच-पटेल अपने परिवार को समाज से बाहर ही करेंगे न ... ... कि ठाळेभुले ने धर्मजी की नाक कटवा दी ! मैं आज डॉक्टर हूं डॉक्टर ! समाज से बाहर करते ही मैं पंचो को पन्द्रह लाख दंड भर दुंगा ! और समाज में सम्मिलित करवा दुंगा ! पर ये रिश्ता मुझे मंजुर नहीं , आपने मेरी शादी इतनी छोटी उम्र (नौ साल) में क्युं कर दी .....??
और अंत में आंख में आंसु बहाते हुए बाप ने कहा था, " हां मैने झक मार दिया, सात बीघा जमीन बेच तुझे डॉक्टर बनाया हैं ! जमीन नही बेचता तो ये सवाल तुझे भी नही सुझते, आज के बाद मुंह मत दिखाना ...."
और अंत में मुझे भारी मन से ये रिश्ता स्वीकार करना पडा़ था !
राधा केवल पांचवी कक्षा पास ही थी, लेकिन बडी़ सुशील व सुन्दर थी ! पढाई में भी तेज थी, पर उसके गांव में पांचवी तक ही स्कुल थी सो आगे पढना नसीब ना हुआ था उसे ...
प्रथम बार जब राधा को गौना कर उसे ससुराल लाया गया था तब से प्रदीप उसकी वाकपटुता और समझदारी से बडा प्रभावित था .....
एक दिन की बात हैं .... प्रदीप खाट पर सोया हुआ झुंपी के बाहर नजर गढाये कीसी ख्यालो मे खोया हुआ था ..... तभी एक आवाज गुंजी, " सुणो ! म्हे भी पढणी चाहूं"
इस आवाज से प्रदीप में एक नवीन उर्जा का संचार हुआ और राधा की आंख में झांकते हुए कहा, "हां पढ तो सके है, पर उण वास्ते खुब मेहनत करणी पडेला" !
राधा- "हां तो म्हे तैयार हूं ! आप म्हाने पढाई करवा दो नी, मैं पढ लु ला .. ..!
दुसरे दिन ही प्रदीप ने राधा का आठवीं में प्राइवेट फॉर्म भरवा दिया ! और इस तरह आठवी प्राइवेट, दसवी ओपन, बारहवीं ओपन, कॉलेज प्राइवेट, बीएड कोटा ओपन युनिवर्सिटी और फिर रीट .... !
.....................
आज प्रदीप बहुत खुश था ! प्रदीप ने ताबड तोड स्नान कीया और कार निकाली ....फिर चल दिया अपने ससुराल की ओर ! बीच में कस्बा आया वहां से राधा के लिए आई फोन, मिठाई और साडी खरीदी ... !
अब प्रदीप मीटरो-मीटर गाडी भगाये जा रहा था ...!
चार घंटे के सफर बाद अपने ससुराल पहुंचा, तो पता चला कि ससुरजी व सालाजी तो जोधपुर कीसी काम से गये हुए हैं ...!
प्रदीप जैसे ही गाडी खडी कर बाहर निकला तो देखा कि राधा सामने ही खडी-खडी मुस्करा रही थी !
प्रदीप ने अपनी गाडी से आईफोन,साडी और मिठाई बाहर निकाली और चल दिया राधा की तरफ ... !
जैसे ही राधा के पास पहुंचा.... राधा प्रदीप के गले लिपट गई, और दोनो एक दुसरे के ख्वाबो में खो गये !
करीब पांच मीनट बाद मैं... मैं ..मैं .. की आवाज ने उनकी चुप्पी को तोडा़ ! देखा, तो पास में बकरी का बच्चा दो प्रेमीयों के मिलन का साक्षी बन रहा था ! और वो ऐसे मैं..मैं..मैं कर रहा था जैसे, प्रदीप-राधा के पांवो में मुंह मारते हुए प्यार का म्लहार राग गा रहा हो ! जब दोनो एक दुसरे से दुर हटे, तो देखा दोनो की आंखे भीगी-भीगी थी....... जैसे सात जन्म साथ निभाने का वादा कर रही हो !
-------
✍ दीप सिंह दूदवा
No comments:
Post a Comment